अब देना होगा को ऑनलाइन फूड डिलीवरी रेस्टोरेंट को मुआवजा,ऑर्डर एक तरफा रद्द कर देने पर क्या करें


अब देना होगा को ऑनलाइन फूड डिलीवरी रेस्टोरेंट को मुआवजा 
भारत में फूड डिलीवरी एप्स या प्लेटफार्म से भोजन ऑर्डर करने का ट्रेंड लगातार बढ़ता जा रहा है ।भोजन का आर्डर करने में यह ऐप्स सुविधाजनक तो है ,लेकिन कई बार देर से डिलीवरी मिलने आर्डर किए गए हुए भोजन के बजाय कुछ और भेज देने या भुगतान संबंधी समस्याओं के कारण मजा खराब हो जाता है। इन मामलों में मदद करने के लिए उपभोक्ता कानून है आईए जानते हैं ,कि ग्राहकों के पास इसको लेकर क्या अधिकारऔर इनका इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है ।
क्या है उपभोक्ता अधिकार 
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 2 की 9 में उपभोक्ता अधिकार अधिकारों के बारे में स्पष्ट व्याख्या की गई है, की धारा दोनों आई के अनुसार उपभोक्ताओं को घटक उत्पादों से सुरक्षा का अधिकार प्राप्त है ,यानी इसके अनुसार उपभोक्ता को बासी भोजन या नुकसानदायक भोजन नहीं दिया जा सकता। उपभोक्ताओं को वस्तुओं उत्पादन या सेवाओं की गुणवत्ता मात्रा और कीमत के बारे में सूचित किए जाने का अधिकार भी है। इसका मतलब है ,कि खाद्य वितरण प्लेटफार्म और रेस्टोरेंट को पारदर्शिता बनाए रखनी होगी रंग की इन अधिकारों की बावजूद कहीं बार उनका उल्लंघन होता है ।इस पर धारा दोनों भी यानी 5 निवारण समस्या का समाधान मांगने का अधिकार प्रदान करती है ।
खाने की डिलीवरी ना होने पर क्या करें 
फूड डिलीवरी मार्केट का मूल मंत्र है ऑर्डर की गई भोजन सामग्री की समय पर डिलीवरी इसलिए अगर आप कोई सर्विस पर डाटा इसमें देरी करता है, या डिलीवरी नहीं कर पता है ,तो इसे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के अनुसार सेवा में कमी माना जाता है। इस सिलसिले में केरल के अरुण कृष्णा के मामले को लिया जा सकता है ।उनके एक आर्डर को एक फूड डिलीवरी प्लेटफार्म डिलीवर नहीं कर पाया इसलिए और उनका वही आइटम दोबारा से ऑर्डर करना पड़ा, हालांकि वह भी उपभोक्ता को डिलीवर नहीं किया जा सका और कोई रिफंड भी नहीं दिया गया। उपभोक्ता आयोग ने अधिनियम की धारा दो अंदर 16 तीन के तहत सेवा में कमी माना रिफंड नहीं करने को अधिनियम की धारा 2(47 )के तहत अनुचित व्यापार व्यवहार माना गया आयोग ने अरुण द्वारा भुगतान की गई राशि वापस करने का आदेश दिया चाहते ही मानसिक पीड़ा के लिए ₹5000 और मुकदमे की लागत के लिए ₹3000 देने का आदेश भी दिया।
ऑर्डर एक तरफा रद्द कर देने पर क्या करें 
ग्राहकों को लुभाने के लिए कुछ डिलीवरी प्लेटफार्म ने समय पर पे ऑर्डर या ना मिलने पर मुक्ति पाए जैसे अभियान चलाए अंबाला में एक व्यक्ति ने देर रात को अपने बच्चों के लिए पिज़्ज़ा ऑर्डर किया लेकिन डिलीवरी प्लेटफार्म ने इसे एक तरफ रद्द कर दिया व्यक्ति ने पहले जिला आयोग में और फिर राज्य आयोग में शिकायत दर्ज की यह स्थिति तब थी जब व्यक्ति ने समय पर आर्डर योजना का लाभ उठाने के लिए₹10 अतिरिक्त भुगतान किया था आयोग ने कहां की अगर डिलीवरी प्लेटफार्म इस तरह के वादे पूरे नहीं कर सकते तो उन्हें लुभवाओं ने विज्ञापन नहीं देने चाहिए या ऐसे अभियान लॉन्च नहीं करनी चाहिए शिकायत करता हूं को मोदी के रूप में₹10000 और एक फ्री मेल वाउचर दिया गया।
ऑर्डर करने पर खाना शाकाहारी की जगह मांसाहारी आने पर क्या करें 
ऐसे कई मामले सामने आए हैं कि दिन में रेस्टोरेंट में ऑर्डर में गड़बड़ी की ओर साहकारी  की जगह मांसाहारी खाना परोस दिया इससे उपभोक्ताओं की धार्मिक भावनाएं आहत हुई और ऐसे कई मामले उपभोक्ता अयोग के सामने आए लुधियाना में एक उपभोक्ता को वेज बिरयानी की जगह चिकन बिरयानी देने पर जिला आयोग ने ₹50000 का मुआवजा देने का आदेश दिया ,इसी तरह जब एक बड़ी फूड चेन में एक शाकाहारी परिवार को मांसाहारी भाषा खाना प्रो दिया आपको जोधपुर जिला हाईवे ₹1 लख रुपए का होगा और₹5000 में कितना खर्च देने का आदेश दिया ।
अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा होता है सरकार की लीगल इंडिया पोर्टल पर जाकर शिकायत करें।

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