SUNDERLAL KAKA :पूर्व मंत्री सुंदरलाल काका का निधन

पूर्व मंत्री सुंदरलाल काका का निधन: सरकार बनाने के लिए भैरों सिंह शेखावत को हेलीकॉप्टर से लेने गए थे ।
#भाजपा की वर्ष नेता और पूर्व मंत्री सुंदरलाल का 91 साल की उम्र में निधन हो गया है जो कि लंबे समय से बीमार चल रहे थे जो 5 सितंबर से जयपुर के एसएमएस और अस्पताल में भर्ती थे जो शुक्रवार की रात 2:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली लोग उन्हें काका कर बुलाते थे। 

#इससे पहले फेफड़ों में इन्फेक्शन और सांस लेने में तकलीफ के कारण उन्हें 23 अगस्त को भी एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया गया था लेकिन कुछ दिन बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई थी। 
सुंदरलाल सात बार विधायक रहे हैं ,उन्होंने पहली बार 1972 में कांग्रेस के टिकट झुंझुनू जिले से सूरजगढ़ विधानसभा सीट से विधायक बने थे, इसके बाद कई निर्दलीय तो कई कांग्रेस विकास सभा में पहुंचे बाद बाद में भाषा में शामिल हो गया और 2003 में भाजपा के टिकट से जीते और वह 2018 भाजपा की विधायक रहे 
2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उनके बेटे को टिकट नहीं दिया तो यह रोने लगे थे उसके बाद में उनके बेटे ने निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन चुनाव लड़ने पर वह हार गए 
#सुंदरलाल राजनीति में अपने करीब 60 साल के करियर में हमेशा अपनी बात को विभाग तरीके से करने और हिट देसी अंदाज के लिए जान गए हैं इसी कारण लोग उन्हें है काका करते थे ,

#उनका राजनीतिक सफर :
सुंदरलाल काका का जन्म 22 अगस्त 1933 को झुंझुनू जिले की बुहाना तहसील के कलवा गांव में हुआ था जो एक बहुत साधारण परिवार में जन्मे सुंदरलाल के पिता राम खेती करते थे पुलिस ऑफ 
1964 में उन्हें पंचायत समिति सदस्य के चुनाव से राजनीति की #शुरुआत की लिस्ट 
उन्होंने कुल 10 बार विधानसभा चुनाव लड़ा जिनमें से तीन बार उन्हें हर का सामना पड़ा। 
वे पांच बार सूरजगढ़ और दो बार पिलानी सीट से विधायक सुनाए गए 
यह भी एक सहयोग रहा की 1977 और 1990 में जब सुंदरलाल चुनाव हारे तब दोनों ही बार राज्य सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई। 
दोबारा चुनाव होने पर सुंदरलाल फिर से विधायक बन गए । 
1998 में भेरू सिंह शेखावत सरकार में ऊर्जा और मोटर गैराज विभाग में राज्य मंत्री रहे हैं और उन्हें स्वतंत्र परिवार दिया गया। 
2007 और 2015 में अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष बने। 
#जीवन की समस्याएं :
राजनीति में आने से पहले सुंदरलाल का जीवन काफी संघर्ष में रहा। अजीव के लिए नेपाल में लकड़ी काटने का काम करने गए थे जहां उन्हें डेढ़ रुपया रोज की मजदूरी मिलती थी पुलिस स्टॉप 
सुंदरलाल कई बार इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि एक बार वहां उन्हें किसी कार्यक्रम में एक भजन सुनाया जिसके लिए उन्हें ₹300 मिले। 
मजदूरी से महीने के 45 रुपए मिलते थे जो भजन लाल गाने पर ₹300 मिले थे हालांकि बाद में काका गांव लौट आए। 


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