आजकल बकरी पालन का ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बिजनेस तेजी से फेमस होते जा रहा है। इसमें आपको राज्य सरकार व केंद्र सरकार आपको इसका धंधा खोलने पर आपको सब्सिडी भी देगी इसलिए। आप धंधे को खोल सकते हैं और अच्छा खासा मुनाफा पा सकते हैं ,और अपने जीवन में व्यापार की ओर बढ़ सकते हैं चलो देखते हैं कितने देती है सरकार सब्सिडी इस योजना विस्तार और कैसे लाभ उठा सकते हैं।
सरकार हमे 10 बकरियों पर 4 लाख तक लोन व 60 पर्सेंट तक सब्सिडी देती है ।
आज के समय में लोग ऐसे व्यवसाय की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जिनमें खर्च कम और मुनाफा ज्यादा हो इसी प्रकार बकरियों का ऐसा धंधा है जिसमें खर्च कम होता है और मुनाफा ज्यादा होता है। चलो आपको समझते हैं बकरियां कौन सी नस्ल की पाल सकते हैं जिससे हमें ज्यादा मुनाफा हो और कैसे पाल सकते हैं । वह जानेंगे
उस्मानाबादी बकरी
यह बकरी का पालन दूध और मांस दोनों के लिए किया जाता है ,लेकिन यह नस्ल बहुत अधिक दूध नहीं देती। इसलिए से मांस के व्यापार के लिए अधिक पाला जाता है। आमतौर पर यह काले रंग की होती है और उनके ऊपर बुरे या सफेद रंग के धब्बे पाए जाते हैं बकरियों का वजन लगभग 32 से 35 किलोग्राम तक होता है, जबकि बकरे का वजन 45 से 50 किलो तक हो जाता है । इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी ज्यादा होती है, इसलिए हम इस बकरी को आराम से पाल सकते हैं और अच्छा पैसा मुनाफा पा सकते हैं ।
बर्बरी बकरी
इस बकरी को मुख्य रूप से दूध और मांस के लिए पाला जाता है । यह बकरी एक दिन में 1-1.5 लीटर दूध दे सकती हैं। इसके मांस का स्वाद भी बेहतरीन माना जाता है । इसकी देखभाल आसान होती है और इस कीमत भी कम होती है बरबरी बकरी साल में दो बच्चे देती हैं। जिससे पालने के लिए उनकी डिमांड ज्यादा है जिससे पशुपालकों को अच्छा मुनाफा मिलता है। इस बकरी का ओरिजिन उत्तर प्रदेश है और इसको पाला भी उत्तर प्रदेश में जाता है । यह बकरी मांस दूध दोनों के लिए पाली जाती है। इस बकरी को बकरियों की नस्लों में सबसे अच्छी नस्ल मानी जाती है हम इसकी पहचान कैसे करें। चलो आपको बताते हैं इसके लंबे कान और ऊंचा कद होता है इसका और इसके बकरों में दाढ़ी पाई जाती है ।
बीटल बकरी
इस बकरी के शरीर का आकार बड़ा होता है ,यह बकरी बड़ी और मालाबारी नस्लों की तरह भारी होती है ,यह बकरी दूध और मास दोनों के लिए पाली जाती है ,और प्रतिदिन एक से दो लीटर तक दूध देती हैं ।
दुधारू नस्ले
जमुनाबारी ,सुरती ,जखराना ,बरबरी एवं बीटल ।
मांस के लिए पाल जाने वाली नस्ले
ब्लैक बंगाल ,उस्मानवाड़ी, मारवाड़ी, मेहसाणा ,संगमनेरी कच्ची तथा सिरोही नस्ले शामिल है ।
ऊन उत्पादन के लिए पाल जाने वाली नस्ल
कश्मीरी, चंगठन गाड़ी ,चंगू पशमीना
बकरी प्रजनन के लिए महत्वपूर्ण जानकारी
हमेशा बकरियां में शुद्ध जाति का वक़्त होना चाहिए ।
बक सदैव 15 माह के लिए प्रयोग करना चाहिए ।
18 से 24 महीने का न 25 से 30 दो यानी माता को गर्वित कर सकता है एवं पूर्ण परिपक्वता 2 से डायवर्स होने पर 50 से 60 मादा को गर्वित कर सकता है ।
संभोग के लिए जाड़े के मौसम में ज्यादा उत्तेजित रहता है ।
माधव 15 से 18 माह में संभोग के लिए परिपक्व होती है ,परंतु अच्छी खिलाई पिलाई एवं प्रबंधन द्वारा इस समय कोई तीन से पांच माह तक कम किया जा सकता है ।
बकरियां में गर्मी का समय 36 घंटे तक होता है ,केवल बीटल बकरी में 18 घंटे का होता है एवं गर्मी चक्र 19 जीवन दिन तक होता है ,गर्भकाल अवधि 145 से डेढ़ सौ दिन का होता है ।
ज्यादातर मादाएं सितंबर एवं मार्च गर्मी में या हिट में आती है ।
बकरियां ज्यादातर दो बार जनवरी अप्रैल एवं सितंबर नवंबर में बच्चा देती है ।
जो बच्चे जनवरी अप्रैल में पैदा होते हैं वह ज्यादा स्वस्थ होते हैं तुलना में जो बच्चे अगस्त नवंबर में संभोग के दौरान पैदा होते हैं ।
जिन को अच्छी एवं नियमित खिलाई कराई जाती है, वह 8 वर्ष से 10 वर्ष तक प्रजनन योग्य के रहते हैं ।
बकरियों की औसत उम्र 11 से 12 वर्ष होती है ।
बकरियों का डाइट मेनू
बकरी एक ऐसा पशु है ,जो खराब से खराब और कम से कम सारे पर अपनी निर्वाह कर लेती है, बकरी हरी घास जड़ी तथा पेड़ फोड़ दो पत्तियों से अपना निर्वाह कर लेती है । यह चारे को पसंद करती है । यह नीम पीपल बबुल कर बर आदि की पत्तियों को खूब आती है। अगर इनको चलने के लिए बार-बार भेजना परम आवश्यक है,लेकिन बकरियां चारागाह बदलना बहुत पसंद करती है ।
बकरियों को प्रतिदिन एक ही चारागाह में भेजने पर वशीकरण बीमार पड़ जाती है ,उसमें भी की गांड सराय जाने पर वह बकरियों को मुंह में की बीमारी हो जाती है । वृक्षों की शाखों के अंकुर छप जाने और आने के प्रकार के पौधे और वृक्षों को अपना आहार बना लेते बकरी की आदत के कारण उसे पेड़ पौधों का शत्रु समझा जाता है ,लेकिन इसके लिए इस निर्दोष पशु को दोषी नहीं समझना चाहिएइसके लिए तो बकरियां पालने वाले गडरिया उत्तरदाई है जो अपनी गरीबी के कारण इन बकरियों को झुंडा में खुला छोड़ देते हैं ।
बकरियों को हरा चारा दिए जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए,प्रति बकरी दो किलो हरा चारा रात्रि के लिए पर्याप्त होता है चारे को बांधकर लटका देना चाहिए अथवा पैरों द्वारा बकरी है ,उसे खराब कर देती है बकरियों को कभी भी खराब चारा नहीं देना चाहिए।
बकरियों की भोजन संबंधी मुख्य बातें
बकरियों को अगर चारागाह में नहीं भेजा जाता है, तो उन्हें तीन बार सुबह दोपहर को शाम को चारा देना चाहिए ।
बकरियों के चारा की मात्रा निश्चित नहीं है, परंतु उन्हें इतना भोजन अवश्य मिलना चाहिए ,जितना की एक बार में उसे भोजन को पर्याप्त समाप्त कर ले ।
एक औसत दो दुधारू बकरी को दिन में करीब तीन से पांच किलो रैशन मिलना चाहिए ,इस सारे में काम से कम 1 किलो सुखा चार अरहर चना या मटर की सूखी पत्तियां यह अन्य कोई जलन का सामान नहीं चाहिए।
बकरियों के भोजन की मात्रा निश्चित का निम्न बातों का ध्यान रखना ।
रिक्वेस्ट बकरी को 50 किलो भार के पीछे 500 ग्राम राशन देना चाहिए ।
दुधारू बकरी की 3 किलोग्राम दूध उत्पादन पर 1 किलो राशन देना चाहिए ।
पर जोर से दो माह पहले गर्भकाल का राशन 500 ग्राम प्रतिदिन होना चाहिए ।
बकरे को साधारण दिनों में साढे 300 ग्राम राशन प्रतिदिन वह प्रजनन काल में 500 ग्राम राशन देना चाहिए ।
दूध से सुखी बकरी को सुबह शाम में 400 ग्राम राशन प्रतिदिन देना चाहिए।