दुर्गा मां के नौ स्वरूपों के मंदिर देखने के लिए नीचे दिए गए खास बातों को पढ़ें

नवरात्र में नौ माताएं का दर्शन करने के लिए जानिए नवदुर्गा के प्राचीन मंदिर 

9 दिवस की 9 अधिष्ठात्री देवियां हर घर में पूजनीय होती है ,इन्हीं नौ देवी के विशिष्ट मंदिर देश के विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग जगह पर है । आज हम आपको बताएंगे कि मंदिर की प्रथम मंदिर कहां है कहां है जहां जाकर आप दर्शन कर सकते हो । 

नौ माता का मंदिर कुछ इस प्रकार है 
1. शैलपुत्री माता मंदिर 
यह मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश व बारामुला कश्मीर में स्थित है । 
पौराणिक साहित्य में 9 नाम से प्राकृतिकता नवदुर्गा में प्रथम सेल पुत्री माता को माना जाता है शेल  पुत्री यानी हिमालय सट्टा भगवती पार्वती मां है ,जो की माता शैलपुत्रिका मंदिर मोक्ष नगरी काशी में वरुण सरिता के निकट स्थित है या देवी शैलपुत्रिका सुंदर विग्रह है जिसके दर्शन के लिए नवरात्र में श्रद्धालु देश के विभिन्न भागों से यहां पर आते हैं हिमालय पुत्री होने से शैलपुत्रिकलाई माता के मंदिर पहाड़ों में भी दृश्य में देवी शैलपुत्रिका मंदिर मौजूद है।  जो माता की भवानी की 9 बहनों में से एक है । मंदिर पड़ता के अनुसार केवल कुमारी कन्या ही मुख्य मंदिर  के भीतर भोग और स्वच्छता नियोजन का कार्य करती है । 


2. ब्रह्मचारिणी माता का मंदिर 
ब्रह्मचारिणी माता का मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है । 
इस माता के बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में ही कारण घंटा क्षेत्र में मां ब्रह्मचारिणी देवी का मंदिर भी मौजूद है।  सदानीरा मां गंगा के किनारे बालाजी घाट पर स्थित इस मंदिर में श्री माता का सुखकर्ता समृद्धि नायक और मनोकामना पूर्ण करने वाला विग्रह स्कूल पर यहां पर मौजूद है । 

3. चंद्रघंटा माता का मंदिर
चंद्रघंटा माता जी का मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज को काशी में इसके मंदिर स्थित है । 
उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है देवी चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्थ चंद्राकर सुशोभित है तमिलनाडु के कांचीपुरम में भगवती चंद्रघंटा के रूप में देवी पूजा की जाती है वही त्रिवेणी संगम की नगरी प्रयागराज में और वाराणसी में भी मां चंद्रघंटा का मंदिर स्थित है जहां नवरात्रि के अवसर पर विशेष भीड़ या यात्रा होती है और बहुत सारे श्रद्धालु वहां पर आकर माथा टेकते हैं । 

4. कुष्मांडा माता का मंदिर 
कुष्मांडा माता का मंदिर उत्तर प्रदेश के कानपुर व घाटमपुर में स्थित है।  
नवरात्र की चौथे दिन की अदिश शास्त्री देवी हैं, मां कुष्मांडा उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के घाटमपुर कस्बे में देवी कुष्मांडा का प्राचीन मंदिर अवस्थित है।  
यहां देवी पिंडी स्वरूप में दो मुख्य के साथ विराजी है । 
जहां श्रद्धालुओं के आश्चर्य का स्रोत पिंडी से सदा विस्तार जल है ,जिसे पवित्र आशीष मानकर भक्त सिर्फ माथे पर लगाते हैं मराठा शैली में निर्मित मंदिर की निर्माण तिथि पर इतिहासकार एक मत नहीं है ,परंतु स्थानीय लोक कथाओं में मां कुष्मांडा के मंदिर की कीर्ति अक्षुण है । 
5. स्कंदमाता का मंदिर 
स्कंद माता का मंदिर उत्तर प्रदेश के काशी व मध्य प्रदेश के विदेश दोनों जगह स्थित है । 
उम्म फेस पुत्र षणमुख कार्तिकेय स्कंध कहलाते हैं जिससे देवी का एक नाम स्कंदमाता है । स्कंदमाता का आने वाराणसी के जगतपुरा क्षेत्र के भाग्य श्री देवी मंदिर परिसर में है देवी विग्रह की गोद में स्कंद बाल रूप में विराजमान है स्कंदमाता का एक अन्य मंदिर विदिशा में भी है जहां देवी देवी दुर्गा की पूजा स्कंदमाता स्वरूप में होती है।  तमिलनाडु के सलाम के निकट स्कंद गिरी पर भी देवी दुर्गा स्कंद माता स्वरूप में पूज्य हैं । 
6. मां कात्यानी का मंदिर 
इस माता का मंदिर उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित है । 
श्री राधा रानी के अधीन श्री कृष्ण की लीला स्थली श्रीधाम वृंदावन में मां कात्यानी का प्राचीन मंदिर स्थित है।  महर्षि कात्यान के ताप से प्रश्न देवी मां ने उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया था मानता है, कि कात्यायनी शक्ति पीठ पर राधा रानी ने श्री कृष्ण को पति रूप में वर्णी के लिए देवी आराधना की थी । 
7. कालरात्रि माता का मंदिर 
कालरात्रि माता का मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है । 
देवी माता के साथ विश्व रूप के रूप में पूजे जाने वाली मां कालरात्रि प्रतिष्ठित है । कालरात्रि स्वरूप में देवी ने असुरों का संहार किया । इसलिए उनकी प्रतिमा उग्र स्वरूप में पूजा की जाती है वाराणसी में महाकाल रात्रि का मंदिर दशा अश्वमेध मार्ग पर स्थित है।  बिहार के सोनपुर के नया गांव डूंगरी में भी महाकाल रात्रि का प्रसिद्ध मंदिर है ,जहां पिंडी रूप मां शक्ति स्थापित है । 
8.महागौरी माता का मंदिर 
महागौरी माता का मंदिर उत्तर प्रदेश के काशी में स्थित है।  
देवी शक्ति के आठवीं स्वरूप में पूछे जाने वाली महागौरी माता की मुद्रा अत्यंत शांत और रूप गौरव वरना है।  सुप्रसिद्ध काशी विश्वनाथ के निकट स्थित अन्नपूर्णा देवी मंदिर में स्थापित विग्रह को महागौरी की मान्यता दी गई है।  कथा है कि महादेव को व रूप में पानी के लिए देवी पार्वती ने कठोर तक किया था जिससे उनका रूप कृष्ण वर्णी हो गया था तब से प्रसन्न होकर शंकर जी ने गंगाजल से देवी की क्रांति को अपना लोटाया । 

9. सिद्धिदात्री माता का मंदिर 
सिद्धिदात्री माता का मंदिर मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में स्थित है । 
समस्त सिद्धियां की दात्री मां सिद्धि दात्री है, नम दिवस की अधिष्ठात्री देवी मां सिद्धिदात्री का प्रसिद्ध मंदिर मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में है।  शत्रु बुजुर्ग रूप में सिंहासन रोड माता कमल पुष्प विराजमान है भगवती सिद्धि दात्री का एक मंदिर वाराणसी में भी है ,जहां देवी विग्रह कर्षांत वर्णन में स्थापित है। 
हमने यहां पर 9 माता का स्वरूप दिया है ,जो कि यह स्वरूप दुर्गा मां के हैं।  आप यहां जाकर इन माता का दर्शन कर सकते और अपनी मन की मनोकामना पूर्ण कर सकते हैं। 
 

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