रविवार 20 अक्टूबर को करवा चौथ है यह महिलाओं के लिए महाव्रत है ,माना जाता है ,कि जो महिला करवा चौथ का व्रत पूरी विधि विधान से करती है ,उसके जीवन साथी को अच्छे शायर लंबी उम्र और सौभाग्य मिलता है। इस दिन राजस्थान के चौथ माता मंदिर में बड़ी संख्या में भगत आते हैं ,महिला या खंड सौभाग्य की कामना लेकर यहां आई और चौथ माता के दर्शन करती है जाने इस मंदिर से बड़ी जुड़ी कुछ खास बातें
चौथ माता माता का मंदिर का निर्माण
चौथ माता का यह मंदिर राजस्थान में सवाई माधोपुर जिले के बरवाड़ा तहसील में है । इस मंदिर को 1451 में भीम सिंह नाम के शासक ने बनवाया था । यह मंदिर अरावली पर्वतमाला की श्रृंखला की चोटी पर बना हुआ है ,इस पहाड़ी की ऊंचाई करीब 1000 फीट है ,मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है ।
चौथ माता के मंदिर में करवा चौथ पर महिलाएं बड़ी संख्या में पूजती है, और देवी सेकंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करती है । नवरात्रि में भी देवी के दर्शनों के लिए हजारों वक्त रोज यहां आते हैं । मंदिर तक पहुंचाने के लिए भक्तों को करीब 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है । जब कोई विवाह होता है, तो दुल्हन दूल्हे भी यहां पर विवाह के बाद अपना माता टेक ने आते हैं ,जिसे उनको अपने जीवन में सुख समृद्धि एवं अपना विवाह संपन्न और लंबे समय तक बना रहे हैं, इसकी कामना करने के लिए आते हैं ।
चौथ माता के जाने के लिए रास्ते
चौथ माता का मंदिर का नजदीक बड़ा शहर जयपुर है, जयपुर सड़क रेल और वायु मार्ग से देश के सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। जयपुर से चौथ माता मंदिर करीब 170 किलोमीटर है । इस साइड से चौथ माता मंदिर तक पहुंचाने के लिए बस ,रेल और प्राइवेट कैब नीचे मिल जाती है । सवाई माधोपुर से मंदिर की करीब 5 किलोमीटर है ।
मंदिर से जुड़ी कुछ खास लोक कथाएं
यहां प्रचलित मान्यता के अनुसार राजा भीम सिंह को चौथ माता ने स्वप्न में दर्शन दिए थे ,और इस पहाड़ी पर मंदिर बनवाने के लिए कहा था। माना जाता है ,कि राजा भीम सिंह एक बार शिकार पर गए तो रास्ता भटक गए थे ,
रास्ता खोजते खोजते रात हो गई राजा को कहीं पानी भी दिखाई नहीं दिया, प्यास की वजह से राजा बेहोश हो गए। तभी जंगल में बारिश होने लगी बारिश की वजह से राजा को होश आ गया और उसने वही पानी पिया ।
पानी पीने के बाद राजा को वहां एक छोटी कन्या दिखाई थी, वह कन्या देवी चौथ माता की थी ,जब राजा ने उसे कन्या से उसके बारे में पूछा तो कन्या असली स्वरूप में आ गई ।
राजा ने देवी को प्रणाम किया और प्रार्थना की थी कि, अब आप मेरे ही राज्य में रहे , देवी ने राजा की यह प्रार्थना स्वीकार कर ली । इसके बाद राजा ने यहां देवी चौथ माता का मंदिर बनवाया।