उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में पिंजरे से भागा लेपर्ड का अब तक कुछ पता नहीं चला है। वन कर्मी पार्क के अंदर ही उसकी तलाश कर रहे हैं । इस बीच डर था ,कि टूरिस्ट पर हमला न कर दे, इस कारण बायोलॉजिकल पार्क में आज भी टूरिस्ट की एंट्री बंद है। 24 घंटे के बावजूद लेपर्ड अब तक वन विभाग के हाथ नहीं लगा है ,नहीं कोई पग मार्क मिला है ।
पिंजरे से भागा लेपर्ड को शहर से सटे लखावली इलाके की पहाड़ी से मंगलवार शाम करीब 7:00 बजे यहां लाया गया था। रात में बंद कर लेपार्ड को पिंजरे में ही छोड़ कर चले गए थे। सुबह आकर देखा तो वह पिंजरे में नहीं था। ऐसे में वन विभाग की लापरवाही को नकारा नहीं जा सकता, वन विभाग की इस लापरवाही के बाद मुख्य सरंक्षक सर्व मूर्ति ने उपवन रक्षक यादवेंद्र सिंह को लेकर जांच सोपी है ।
लापरवाही का बढ़ता ध्यान
,लेपर्ड को पिंजरे में लेकर आने के बाद उसको फिक्स पिंजरे में शिफ्ट क्यों नहीं किया जबकि लेपर्ड को लखावली गांव से रात को लेकर आए थे, तो फिर उसको अगले दिन तक इस ट्रैक पिंजरे में क्यों रखा ।
लापरवाही नंबर 2 2 क्या जी स्ट्रैप पिंजरे में लेकर आए वह कमजोर था । क्या पिंजरा लगाने से पहले उसकी जांच की गई थी, कहां गया की पिंजर पर टी तोड़कर भाग गया आबादी क्षेत्र जिले पर को लेकर आते हैं और उसका पिंजरा ही लेपर्ड तोड़ देते हैं, तो फिर पिंजरे के निर्माण पर भी सवाल उठाते हैं ,और उसमें बड़ी लापरवाही सामने आ रही है । लापरवाही नंबर 3 बायो पार्क में मंगलवार होने से बंद था ,लेकिन किसी बंद करनी पर लेपर्ड हमला कर देता तो, कौन जिम्मेदार होता वन विभाग की ओर से रात में सुरक्षा को लेकर जो स्टाफ रहता है । वह कहां थे लापरवाही कर इस मामले के बाद अफसर की छुट्टी से कई सवाल खड़े हुए हैं । अफसर ने रात तक यह जानकारी नहीं दी की लेपर्ड मिल गया या नहीं मिला मंगलवार को बायो पार्क बंद रहता है, और अब आगे बुधवार को खुलेगा या नहीं इसकी कोई सूचना सार्वजनिक नहीं की है ।
गोगुंदा झाडोल से लेपर्ड को पकड़ कर लाते सज्जनगढ़ सितंबर से उदयपुर के गोगुंदा झाडोल और शहर से सटे इलाके में लेपर्ड का मूवमेंट बड़ा है । आदमखोर लेपर्ड कई लोगों की जान ले चुका है ,इस कारण उसे करने का भी आदेश दिया गया था । एक लेपर्ड को मारा भी जा चुका है ,अलैंगिक वह आदमखोर था । कई लोगों की जान ले चुका है ,इस कारण उसे पकड़ ने का भी आदेश दिया गया था । एक लेपर्ड को मारा भी जा चुका है, हालांकि वह आदमखोर था या नहीं है यह कहना मुश्किल है ,वही पिंजरे में कितने पद को सज्जनगढ़ बायो पार्क लाया जा रहा है। आप लखावली से पिंजरे में केलेपट के बायो पार्क से भागने और उसे यहां लाकर फिक्स पिंजरे में शिफ्ट नहीं करने सहित कई लापरवाही सामने आ रही है।
बायो पार्क से बाहर नहीं जा सकता है पिंजरे से छूटा हुआ लेपर्ड
वन विभाग का मानना है कि लेपर्ड बायो पार्क के अंदर ही है, और वह बाहर नहीं जा सकता । इसके पीछे सहायक वन संरक्षण गणेश लाल गोठवाल तर्क देते हैं, की बायो पार्क के चारों तरफ जो और ऊर्जा के करंट प्रभावित होने वाली पेंसिल लगी है ,वहां लेपर्ड नहीं जा सकता अगर वह जाने की कोशिश करता है ,तो उसे करंट का झटका लगता है ,हमारी टीम में चारों तरफ पूरी पेंशन चेक कर ली। लेकिन भैया मैं फेसिंग के टूटा होने का निशान नहीं मिला है, नहीं ऐसी कोई मार्क बाहर की तरफ भी गए हैं।
लेपर्ड छलांग लगाकर भी जा सकता है, यह एक्सपर्ट का कहना है