दलित के बारे में आज भी बहुत कम लोग जानते हैं जैसे साहू पाटोली जी ने कहा कि दलित क्या कहते हैं और कोई नहीं जानता ।
इस खाने के बारे में कोई नहीं जानना चाहता क्योंकि, उन्हें पसंद नहीं है ,उनकी चल रहे हैं कैसे पकाया जाता है खाना और कैसे परोसा जाता है। इस प्रक्रिया को देखने के लिए राहुल गांधी जी ने उनके साथ एक दोपहर बीते वह क्या कहते हैं कैसे पकाते हैं , इसका सामाजिक और राजनीतिक महत्व क्या है ,इस जिज्ञासा के साथ मैं अजय कुमार तुकाराम जी और अंजना तुकाराम जी के साथ एक दो कविताएं उन्होंने कोल्हापुर महाराष्ट्र में मुझे अपने घर सम्मान के साथ बुलाकर रसोई में हाथ बटाने का मौका दिया । हम सब ने मिलकर चने के साथ की सब्जी और बैंगन के साथ तूहर की दाल बनाई ।राहुल गांधी का विडिओ
पाटोली जी और संधे परिवार
जाति और भेदभाव के निजी अनुभव पर बात करते हुए हमने दलित खान-पान के प्रति जागरूकता की कमी और इस संस्कृति के डॉक्यूमेंटसन के महत्व पर चर्चा की। बहूजनों को हिस्सेदारी और अधिकार संविधान देता है और उसे संविधान की रक्षा हम करेंगे लेकिन समाज में सभी की सच्ची समावेश्ता और सम्मान का तभी संभव होगी जब हर एक भारतीय दिल में भाईचारे की भावना के साथ प्रयास करें ।
राहुल गांधी जी 2024 वर्ष में 55 साल की उम्र में पहली बार दलितों के साथ भोजन कर रहे हैं ,यह बहुत ही अच्छा काम है और उनके थ्रू सिंपैथी दिखा रहे हैं ।
राहुल गांधी जी के लिए लोग बोलते हैं ,कि तुम्हारी इस राजनीतिक सामाजिक पाल अकादमी में सोयाबीन स्वभीकता झलकती है।
यह आशा के दो के पास चुके लोगों में भरोसा पैदा करती है । उनके भरोसे की इबादत करने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी छोड़ रहे हो इसे तोड़ना मत ऐसे लोगों के विचार राहुल गांधी के से उम्मीद जगाने के आ रहे हैं।
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